चाचा नेहरू पर निबंध। Chacha Nehru par Nibandh : जवाहरलाल नेहरू वह महान विभूति हैं जिन्हें संपूर्ण विश्व जानता है। गाँधी जी की शहादत के 16 वर्ष बाद तक जीवित रहकर उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों ही मंचों पर गाँधी जी की भाषा में बात की। पं. जवाहरलाला नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद में एक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पूर्वज कौल थे परंतु बाद में कौल छूट गया और यह परिवार केवल नेहरू नाम से जाना जाने लगा। उनके पिता पं. मोतीलाल नेहरू थे। जवाहरलाल¸मोतीलाल के तीसरे पुत्र थे। मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद के विख्यात वकील थे।
चाचा नेहरू पर निबंध। Chacha Nehru par Nibandh
पं. जाहरलाल नेहरू की शिक्षा घर पर ही हुई बाद में उन्हें वकालत करने इंग्लैण्ड भेजा गया। सन् 1912 में वे वकालत करने भारत लौट आए। फिर उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकालत शुरू की। बाद में वे राजनीतिक गतिविधियों की ओर आकर्षित हुए और 1916 में उन्होंने कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में भाग लिया जहाँ पहली बार उनकी मुलाकात महात्मा गाँधी से हुई। पं. नेहरू उनसे अत्यंत प्रभावित हुए।
पं. जवाहरलाल नेहरू का विवाह कमला कौल से हुआ था। 1917 में उन्होंने इंदिरा गाँधी को जन्म दिया। तभी 13 अप्रैल को अमृतसर में जलियाँवाला बाग कांड हुआ जिसमें जनरल डायर ने निहत्थे लोगों पर गोलियाँ चलाने का आदेश देकर सैकड़ों लोगों को मरवा दिया था। इस हत्याकांड की जांच के लिए एक समिति बनाई गई जिसमें जवाहरलाल नेहरू भी शामिल थे। हालांकि डाय्रर को इस कांड के लिए जिम्मेदार पाया गया किन्तु हाउस ऑफ लार्डस ने उसे दोष-मुक्त कर दिया।
सन् 1921 के असहयोग आंदोलन में जवाहरलाल नेहरू को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद से उनकी गिरफ्तारी का सिलसिला शुरू हो गया तो वे देश आजाद होने तक नौ बार जेल गए और नौ वर्ष से अधिक समय उन्होंने जेल में बिताया। जेल में ही उन्होंने अपनी आत्मकथा-‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ भारत एक खोज लिखी जो बहुत चर्चित हुई। जेल में ही उन्होंने ‘ग्लिम्प्सेज ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री’ की रचा की।
सन् 1927 में उन्होंने साईमन कमीशन के खिलाफ प्रदर्शनों में हिस्सा लिया और पुलिस की लाठियों के प्रहार सहन किए। 1929 में लाहौर अधिवेशन में पं. जवाहरलाल नेहरू को प्रथम बार कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। इस अधिवेशन के दौरान ही उन्होंने ‘पूर्ण स्वराज’ का प्रस्ताव पेश किया। फिर जब गाँधी जी ने नमक कानून तोड़ने के लिए सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया तो उन्हें गाँधीजी और मोतीलाल नेहरू के साथ जेल जाना पड़ा। इसी आंदोलन के चलते 6 फरवरी 1931 को मोतीलाल नेहरू की मत्यु होगई। परंतु पं. नेहरू ने देश की स्वतंत्रता प्राप्त के लिए अपने कदम पीछे नहीं हटाए। इन्हीं कष्टों से जूझते हुए 28 फरवरी 1936 को नेहरू जी की पत्नी का भी देहांत हो गया।
फिर 1936 में पं. नेहरू को दूसरी बार कांग्रे का अध्यक्ष चुना गया। सारी विफलताओं के बाद भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ और 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हो गया। पं. जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने र भारत माता की सेवा करते हुए 27 मई 1964 को उनका स्वर्गवास हो गया। उनका नाम इतिहास में स्वर्णाक्षरों में सदैव अंकित रहेगा।
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