अजंता एवं ऐलोरा की गुफाएँ। Ajanta Ellora Caves in Hindi : अजंता एवं ऐलोरा की गुफाएँ केवल भारत में ही नहीं अपितु संपूर्ण संसार में प्रसिद्ध हैं। यह एक पर्यटन स्थल है जहाँ हजारों पर्यटक प्रतिदिन आते हैं । ये गुफाएँ महाराष्ट्र में औरंगाबाद जिले में हैं। यहाँ पर पहुँचने के लिए मुंबई से फ्लाइट है जो एक घण्टा लेती है। इसके अतिरिक्त बस एवं रेलगाड़ी की सुविधा भी है। औरंगाबाद में प्रसिद्ध मुगल सम्राट औरंगजेब का अंतिम गढ़ भी है इसकी संगमरमर की वास्तुशिल्प कला लोगों को आज भी अपनी ओर आकर्षित करती है। वहाँ पर बाबा शाह मुजफ्फर की दरगाह भी है।
अजंता एवं ऐलोरा की गुफाएँ। Ajanta Ellora Caves in Hindi
औरंगाबाद में प्रसिद्ध मुगल सम्राट औरंगजेब का अंतिम गढ़ भी है इसकी संगमरमर की वास्तुशिल्प कला लोगों को आज भी अपनी ओर आकर्षित करती है। वहाँ पर बाबा शाह मुजफ्फर की दरगाह भी है। जब कोई पर्यटक अजंता-ऐलोरा की की गुफाएँ देखने जाता है तो वह बाबा की दरगाह देखना नहीं भूलता। वे औरंगजेब के धार्मिक गुरू थे। उस दरगाह के अंदर एक मस्जिद, एक मदरसा एक कचहरी एक जनानखाना और एक सराय भी है। इसके अलावा वहाँ पर बीबी का मकबरा भी है जिसकी तुलना ताजमहल से की जाती है।
ऐलोरा की गुफाएँ केवल भारत की ही नहीं अपितु पूरे विश्व की धरोहर हैं। ये गुफाएँ बौद्ध, हिन्दू और जैन धर्म के मंदिरों के लिए मशहूर हैं। ऐलोरा स्मारक हर मंगलवार को बन्द रहता है। यहाँ 12 बुद्ध की गुफाएँ हैं जो सातवीं एवं आठवीं शताब्दी में बनी थीं। 17 हिन्दू गुफाएँ हैं जो छठवीं तथा नौवीं सदी में बनी थीं और 5 जैन गुफाएँ हैं जो नौवीं सदी में बनी थीं। यहाँ सोलहवीं गुफा अत्यंत लोकप्रिय है। इसमें भगवान शिव की प्रतिमा है जो एक ही चट्टान को काटकर बनाई गई है। यह विश्व की सबसे बड़ी एक ही पत्थर को काटकर बनाई गई प्रतिमा है। कहा जाता है कि इसे बनाने में 150 वर्ष और 7 हजार मजदूर लगे थे जिन्होंने रात-दिन कार्य किया था। यहाँ एक 32 नंबर की गुफा है जिसमें महावीर स्वामी विराजमान हैं। ऐलोरा की गुफाओं के स्तंभों पर बने सुन्दर कमल शिल्पकला के सर्वोत्कृष्ट उदाहरण हैं।
अजंता की गुफाएँ ऐलोरा की गुफाओं से 100 कि.मी. की दूरी पर हैं। ये गुफाएँ प्रत्येक सोमवार को बन्द रहती हैं। यह गुफाएँ अपनी मूर्तिकला और चित्रकलाओं के लिए प्रसिद्ध हैं। अजंता की गुफाओं के मंदिर चट्टानों को काटकर अर्द्धचंद्राकर आकृति में बनाए गए हैं। यहाँ गहनों से सजी-धजी मूर्तियाँ हैं जो विश्व में मूर्तिकला का उत्कृष्ट नमूना हैं। यहाँ पर्यटक 29 गुफाओं का अवलोकन कर सकते हैं जिनका निर्माण प्रथम सदी से पाँचवीं शताब्दी के मध्य हुआ था।
ये सभी गुफाएँ चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं। सन् 1983 में अजन्ता की गुफाओं को युनेस्को वर्ल्ड हैरीटेज साइट घोषित कर दिया गया था। अजंता की गुफाएँ जलगाँव से 60 कि.मी. और भुसावल से 70 कि.मी. दूरी पर हैं। 9¸10¸¸12¸13 और 15 नंबर गुफाओं की 1956 ई. में पुनः खोज हुई थी। अजंता की गुफाओं के प्रथम चरण को हीनयान और द्वितीय चरण को महायान कहा जाता है। इन गुफाओं में मूर्तिकला एवं चित्रकला द्वारा गौतम बुद्ध के जीवन उनकी शिक्षा वं उपदेशों को दर्शाया गया है। इन गुफाओं में फर्श को छोड़कर हर ओर उत्कृष्ट चित्रकलाएँ हैं।
ये गुफाएँ विश्व के उत्कृष्ट उदाहरण हैं जिन्हें प्रतिदिन हजारों पर्यटक देखने आते हैं।
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