मेरा प्रिय खेल हॉकी पर निबंध : मुझे हॉकी का खेल बहुत पसंद है और मैं अपने कुछ सहपाठी मित्रों के साथ नियमित रूप से यह खेलता हूँ। वैसे भी हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल है। हाथों में हॉकी स्टिक पकड़कर स्टिक के सहारे गेंद को कब्जे में रखते हुए तथा विपक्षी टीम के खिलाड़ियों को छकाते हुए उनके गोलपोस्ट तक ड्रिबलिंग करते हुए पहुँचना और गोल दागना एक अति रोमांचक अनुभव है।
मुझे हॉकी का खेल
बहुत पसंद है और मैं अपने कुछ सहपाठी मित्रों के साथ नियमित रूप से यह खेलता हूँ।
वैसे भी हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल है। हाथों में हॉकी स्टिक पकड़कर स्टिक के सहारे
गेंद को कब्जे में रखते हुए तथा विपक्षी टीम के खिलाड़ियों को छकाते हुए उनके
गोलपोस्ट तक ड्रिबलिंग करते हुए पहुँचना और गोल दागना एक अति रोमांचक अनुभव है।
कुछ लोगों की धारणा है कि क्रिकेट की तरह हॉकी का खेल भी विदेशी
है जिसे हमने अपना लिया है किंतु ऐसा नहीं है। इस खेल का आविर्भाव भारत में ही हुआ
था। आरंभ में इसे सीधे डंडे से लकड़ी की गढ़ी हुई गेंद से खेला जाता था। कालांतर
में डंडे के छोर पर हुक-नुमा चौड़ा-सा आकार दे दिया गया और वर्तमान हॉकी स्टिक का
प्रचलन हो गया।
हॉकी ग्यारह-ग्यारह खिलाड़ियों की दो टीमों के बीच खेली जाती
है। कुल सत्तर मिनट तक दोनों टीमें एक-दूसरे पर गोल करने के लिए जूझती हैं। यह खेल
बहुत दमखम तेजी और मशक्कत वाला है अतः लगातार सत्तर मिनट न होकर यह पैंतीस-पैंतीस
मिनट की दो पालियों में खेला जाता है। बीच में दस मिनट का विश्राम काल भी होता
है।
हॉकी का मैदान दो भागों में बँटा होता है। मध्यरेखा के दोनों
ओर अंतिम छोर पर गोल स्तंभ होते हैं। मैदान 91.40 मीटर × 55 मीटर (100 × 60 यार्ड) के आयताकार क्षेत्र का होता है। दोनों छोर पर गोल पोस्ट होते हैं जिनकी 2.14 मीटर (7 फीट) है ऊंचाई और 3.66 मीटर (12 फुट) चौड़ाई होती है, यह खिलाडी के लिए लक्ष्य होता है। इसके साथ 23.90 मीटर (25 यार्ड ) दोनों छोर पर लाइन होती हैं और इतनी ही लम्बाई की लाइन मैदान के मध्य में रहती है। मध्यरेखा की एक ओर एक टीम होती है और दूसरी ओर दूसरी टीम। हॉकी के खेल
में दो अंपायर होते हैं और ये दोनों मैदान के एक-एक भाग से मैच का संचालन करते हैं
मेरे हॉकी प्रेम में इस
खेल के अनेक गुणों के कारण लगातार इजाफा हो रहा है। एक तो इस खेल में दौड़ने लपकने
लचकने शारीरिक संतुलन आदि कायम रखने से अच्छा व्यायाम हो जाता है दूसरे टीम-भावना
आपसी सहयोग एकजुटता संगठन अनुशासन एवं सहनशीलता आदि गुण स्वाभाविक रूप से विकसित
होते हैं। किंतु मैं हॉकी की ओर तब आकर्षित हुआ जब मैंने भारतीय हॉकी का इतिहास
पढ़ा। अभी कुछ दशक पहले तक विश्व मे भारतीय हॉकी की धूम थी और दबदबा था। तब भारतीय
खिलाड़ी ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता था। उनके नेतृत्व में भारत ने एक
नहीं तीन-तीन बार ओलंपिक में हॉकी का स्वर्ण पदक जीता था। यह आजादी से पहले की
बात है पर आजादी के बाद देश बँटा तो टीम भी बँट गई लेकिन दबदबा कायम रहा। भारत और पाकिस्तान की टीमों के आगे दुनिया की हर टीम नतमस्तक होती रही।
आजकल ओलंपिक और अन्य बड़े खेलों में हॉकी कृत्रिम घास की सतह
पर खेली जाती है मसलन एस्ट्रोटर्फ या पॉलीग्रास। इन सतहों पर गेंद बड़ी तेज गति से
फिसलती है इसलिए खिलाड़ियों को भी इस सतह से तालमेल बैठाने के लिए अपनी गति तेज
करनी पड़ती है। खिलाड़ी तेजी से एक-दूसरे को पास देते हुए विपक्षी गोल की ओर बागते
हैं।
हॉकी में अपना पुराना रुतबा फिर से कायम करने के लिए आवश्यक है
कि हम अपना दम-खम बढ़ाएँ और कृत्रिम सतहों पर खेलने में महारत हासिल करें।
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