मेरा परिचय निबंध। Myself Essay in Hindi : मैं बारह वर्ष का लड़का हूँ और आठवीं कक्षा में पढ़ता हूँ। मेरा नाम भ्रमर है हमारे पुरखों का गाँव बिहार के सीतामढ़ी जिले में है। वहाँ हमारे चाचा-चाची और चचेरे भाई-बहन रहते हैं। गाँव में हमारा बहुत बड़ा घर है। वहाँ की भाषा में ऐसे घर को चौघरा हवेली कहते हैं। चौघरा हवेली से तात्पर्य है ऐसा घर जिसमें बीचोबीच एक बड़ा-सा चौकोर आँगन हो और चारों ओर कमरे बने हों। गाँव वाले घर के बाहरी हिस्से में एक बड़ा सा दालान है तथा दालान के सामने सड़क के पार गौशाला है जिसमें चाचाजी के गाय-भैंस, आदि पालतू पशु बा बांधते हैं।
मैं बारह वर्ष का लड़का हूँ और आठवीं
कक्षा में पढ़ता हूँ। मेरा नाम भ्रमर है हमारे पुरखों का गाँव बिहार के सीतामढ़ी
जिले में है। वहाँ हमारे चाचा-चाची और चचेरे भाई-बहन रहते हैं। गाँव में हमारा
बहुत बड़ा घर है। वहाँ की भाषा में ऐसे घर को चौघरा हवेली कहते हैं। चौघरा हवेली
से तात्पर्य है ऐसा घर जिसमें बीचोबीच एक बड़ा-सा चौकोर आँगन हो और चारों ओर कमरे
बने हों। गाँव वाले घर के बाहरी हिस्से में एक बड़ा सा दालान है तथा दालान के
सामने सड़क के पार गौशाला है जिसमें चाचाजी के गाय-भैंस, आदि पालतू पशु बा बांधते हैं।
गाँव के बाहर अमराई है खेत हैं। पिछली गरमीकी छुट्टियों में हम चारों भाई-बहन गाँव
गए थे और अमराई तथा दालान में हमने खूब मजे किए।
मगर दिल्ली में हम किराए के मकान
में रहते हैं। मेरे भैया पंद्रह वर्ष के हैं और दसवीं कक्षा में पढ़तेहैं उनका नाम
नवनीत है। वे मेधावी विद्यार्थी है और मुझे बहुत प्यार करते हैं। अक्सर जब मुझे
किसी विषय में कभी कोई कठिनाई महसूस होती है तो मैं उनसे सहायता प्राप्त कर लेता
हूँ। मेरा छोटा भाई कारूणीक दस वर्ष का है और वह छठी कक्षा में पढ़ता है। वो बेहद
शरारती तथा हँसोड़ है। वह अक्सर मुझे चिढ़ाता रहता है और चिढ़ानें में सफल हो जाता
है तो किलकारियाँ मार-मारकर हँसता है।
कभी-कभी जब मेरा अपने छोटे भाई से झगड़ा
हो जाता है तो बड़े भैया बीच-बचाव करते हैं और दोनों में सुलह करवाते हैं। हम
तीनों भाइयों से छोटी है हमारी बहन कसतूरी। वह सात वर्ष की चंचल नटखट और बेहद
बातूनी लड़की है तथा दूसरी कक्षा में पढ़ती है। उसके कारण हमारे घर में रौनक रहती
है और अक्सर वह हम तीनों भाइयों में कहानियाँ सुना करती है। हम चारों भाई-बहनों में बड़ा प्यार है।
मेरे पिता एक लेखक हैं और विभिन्न
विधाओं में लिखने में सक्षम तथा सिद्धहस्त हैं। अक्सर नके लेख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते
रहते हैं जिससे कम से कम इतना पारिश्रमिक अवश्य मिल जाता है कि किसी तरह हम सबका
खर्च चल जाए।
हम चारों भाई-बहनों में कई समानताएँ हैं
तो कई असमानताएँ भी पर एक विशेष समानता यह है कि हम सभी भाई-बहन हमेशा अपनी-अपनी
कक्षा में अव्वल ते हैं तथा पढ़ई के अलावा निबंध-लेखन बाषण खेल तथा कला और विज्ञान
की प्रतियोगिताओं में भी सफलतापूर्वक हिस्सा लेते हैं
मेरा एक मित्र मनीष है जो मुझे अतिप्रिय
है। प्राथमिक कक्षाओं से ही हम साथ-साथ पढ़ते आ रहे हैं। बहुत प्यार होने के
बावजूद पढ़ी और प्रति योगिताओं में हम प्रतिद्वंद्वी है और हम दोनों में अव्वल आने
की होड़ लगी रहती है।
कहावत है कि चिराग तले अँधेरा सो सबकुछ
होते हुए भी एक कमी है जो अब से कुछ अरसा पहले तक नहीं थी। कोई चार बरस पहले मेरी
मम्मी बीमार पड़ी। पापा नको अस्पताल ले गए और डॉक्टरों ने उन्हें भर्ती कर लिया। अस्पताल
में नकी हालत सुधरती और बिगड़ती रही। कमजोर आर्थिक स्थिति के बावजूद इलाज में
कोताही नहीं की गई। पापा तन-मन-धन से नकी सेवा में जुटे रहे किंतु अंत में उन्हें
(मम्मी को) इनफेक्शन हो गया। डॉक्टरों ने कहा कि सेप्टिसेमिक शॉक है और तीन महीनों
तक इलाज के बाद अंततः वह चल बसीं।
मम्मी के गुजर जाने के बाद हम सबने बड़ी
मुश्किलों से खुद को सँभाला। अब अपने घर के काम-काज हम सब भाई-बहन आपस में
मिल-जुलकर करते हैं और आपस में प्यार करते हैं। मैने ठान लिया है कि बड़ा होकर मैं
एक बड़ा डॉक्टर बनूँगा और प्राणपन से मरीजों की सेवा और इलाज कूँगा। शायद इससे मैं
बहुत से बच्चों की मम्मियों को बचा सकूँ।
इस दुःख-भरी उदासी की बात से अपनी
आत्मकथा समाप्त करते हुए मुझे कुछ अच्छा-सा नहीं लग रहा है अतः एक बात और बता दूँ
कि जो भी हम सबसे पहली बार परिचित होता है वह मुझसे यह जरूर पूछता है कि हम चारो
भाई-बहनों में मेरा नाम सबसे अलग क्यों है। तो यही सवाल जब मैंने एक बार अपनी
मम्मी से पूछा तो उन्होंने मुझे बताया कि मेरे जन्म के समय सब लोग लड़का होने की
खुशी से स्वाभाविक ही आनंदित थे और पापा को मेरे रोने की आवाज में भौरे की गुन-गुन
जैसी ध्वनि आती महसूस हुई। भ्रमर का अर्थ होता है भौरा अतः उन्होंने मेरा नाम रख
दिया।
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