मेरे प्रिय लेखक रबिन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध। Mere Priya Lekhak Rabindranath Tagore : मैंने विभिन्न लेखकों की अनेक पुस्तकें पढ़ी हैं। अंग्रेजी लेखकों में विलियम शेक्सपियर और सर आर्थर कोनन डायल मेरे प्रिय लेखक हैं। हिंदी लेखकों में रविन्द्र नाथ टैगोर और मुंशी प्रेमचंद मेरे प्रिय लेखक हैं लेकिन रविन्द्रनाथ टैगोर जी को मैं अधिक पसंद करता हूँ। वह इस संसार के महान कवियों में से एक हैं।
मेरे प्रिय लेखक रबिन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध। Mere Priya Lekhak Rabindranath Tagore
परिचय : मैंने
विभिन्न लेखकों की अनेक पुस्तकें पढ़ी हैं। अंग्रेजी लेखकों में विलियम शेक्सपियर
और सर आर्थर कोनन डायल मेरे प्रिय लेखक हैं। हिंदी लेखकों में रविन्द्र नाथ टैगोर और मुंशी प्रेमचंद मेरे प्रिय लेखक हैं लेकिन रविन्द्रनाथ टैगोर जी को मैं अधिक
पसंद करता हूँ। वह इस संसार के महान कवियों में से एक हैं।
टैगोर जी का जन्म और जीवन परिचय : रविन्द्रनाथ टैगोर बंगाल के बहुत
आदरणीय परिवार से हैं। टैगोर जी का जन्म 7 मई 1861 ई को
कोलकाता के जोरसान्को में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री देवेन्द्रनाथ टैगोर था।
रविन्द्रनाथ जी ने प्रारम्भिक शिक्षा कोलकाता के दो प्रसिद्द विद्यालयों से
प्राप्त की जो थे ओरिएण्टल अकादमी और कलकत्ता नार्मल। सन 1871 में
टैगोर जी उच्च शिक्षा के लिए इंग्लॅण्ड चले गए। उन्होंने लन्दन विश्वविद्यालय से
शिक्षा ग्रहण की।
रवीन्द्रनाथ टैगोर जी का पारिवारिक जीवन दुखों से भरा था। उनका विवाह
1888 में हुआ
लेकिन सन 1902 में इनकी
पत्नी की मृत्यु हो गयी। कुछ वर्षों के पश्चात सन 1907 में इनके पिता की भी मृत्यु
हो गयी। इन सबके बीच सन 1904 में इनकी
पुत्री की भी मृत्यु हो गयी। इन दुखद घटनाओं के चलते टैगोर जी अत्यंत धार्मिक प्रवृत्ति
के हो गए।
एक महान लेखक : रविन्द्रनाथ
टैगोर एक महान लेखक थे। वे अनेक पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादक भी रहे। टैगोर जी की
गीतांजली उनके द्वारा रचीं सर्वश्रेष्ट पुस्तकों में से एक है।कुछ अंग्रेजी कवियों
जैसे डब्लू। बी। यीट्स और स्त्रोफोर्ड ब्रुक ने भी गीतांजली की बहुत प्रशंसा की।
इनकी कविताओं में दयालुता, मानवता
और धार्मिकता का सम्मिश्रण होता है। इन्हें साहित्य में योगदान के लिए नोबेल
पुरष्कार से भी सम्मानित किया गया। बालका और पूरबी इनकी महान रचनाएं हैं। इन्होने
कुछ सुन्दर कहानियां भी लिखीं हैं।
भारत के महान प्रेमी : रविन्द्रनाथ टैगोर भारत से गहरा लगाव था। उन्होंने
अंग्रेजों के विरुद्ध अपनी आवाज उठाई। उन्होंने अपनी रचनाओं के द्वारा स्वतंत्रता
सेनानियों में देशभक्ति की लहर दौडाई। उन्होंने सन 1901 में विश्वभारती की स्थापना
की। वह भारत को शिक्षा और संस्कृति का घर बनाना चाहते थे। 7 अगस्त 1941 को
रवीन्द्रनाथ टैगोर जी की मृत्यु हो गयी। वह एक लेखक, देशभक्त और महान समाज सुधारक थे।
भविष्यदृष्टा के रूप में : रविन्द्रनाथ जी एक भविष्य दृष्टा थे। वह मनुष्यों
के हृदय पर शासन करते थे। वे एक ऐसे व्यक्ति थे जो लोगों को अँधेरे से उजाले की ओर
ले गए। रवीन्द्रनाथ टैगोर न केवल भारत पर बल्कि भारत देश की सुन्दरता पर भी गर्व
करते थे। उन्होंने अपनी मात्रभूमि के बारे में कहा भी है की – मेरा देश जो इ भारत है, मेरे पिता और मेरी संतानों
का देश है, मेरे देश
ने मुझे जीवन और शक्ति दी है। मैं फिर से भारत में जन्म लेना चाहूँगा, उसी निर्धनता और कष्टों के
अभागेपन के साथ। उनका विश्वास था की सिर्फ देशभक्ति ही काफी नहीं है। उन्होंने
देशवासियों को संकुचित स्थानीय देशभक्ति न करने का सन्देश दिया। उन्होंने कहा की
हमें अपने स्थान से प्रेम से अधिक मानवता से प्रेम करना चाहिए। मनुष्य को मनुष्य
से प्रेम करना चाहिए, फिर चाहे
वो कहीं का भी हो। उन्होंने विश्वभारती की नींव डाली और इसे अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन
का केंद्र बनाया।
बच्चों के प्रति उनका प्रेम : रविन्द्रनाथ टैगोर बच्चों से अत्यधिक प्रेम करते
थे। जब वह छोटे बच्चों को पढ़ते थे तो वह आनंद में खो जाते थे। वह सच में गुरुदेव
थे, अर्थात
इस धरती पर एक महान अध्यापक जिसने भारत के लोगों को कविता की कला सिखाई।उन्होंने
प्रकृति की सुन्दरता को उस प्रकार से बे=ताया जिस प्रकार से पहले किसी ने न बताया
था।
Very good
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