हिंदी कहानी कर्म का फल : एक लड़की थी। वह बड़ी ही सुन्दर थी, शरीर उसका पतला था। रंग गोरा था। चेहरा भी गोल था और ऑंखें बड़ी-बड़ी और लम्बे-लम्बे काले-काले बाल थे। वह दिखने में किसी अप्सरा से कम नहीं थी। वह बड़ा मीठा बोलती थी। धीरे-धीरे वह बड़ी हो गई। एक दिन उसके पिता ने कुल के पुरोहित तथा नाई से वर की खोज करने को कहा, उन दोनों ने मिलकर एक वर तलाश किया।
कर्म का फल हिंदी कहानी।
एक लड़की थी। वह बड़ी ही सुन्दर थी, शरीर उसका पतला था। रंग गोरा था। चेहरा भी गोल था और ऑंखें बड़ी-बड़ी और लम्बे-लम्बे काले-काले बाल थे। वह दिखने में किसी अप्सरा से कम नहीं थी। वह बड़ा मीठा बोलती थी। धीरे-धीरे वह बड़ी हो गई। एक दिन उसके पिता ने कुल के पुरोहित तथा नाई से वर की खोज करने को कहा, उन दोनों ने मिलकर एक वर तलाश किया। न लड़की ने होने वाले दूल्हे को देखा, न ही दूल्हे ने होने वाली दुल्हन को।
धूम-धाम से दोनों का विवाह हो गया। जब पहली बार लड़की ने पति को देखा तो उसकी बदसूरत शकल को देखकर वह बड़ी दु:खी हुई। इसके विपरीत लड़का सुन्दर लड़की को देखकर फूला न समाया।
रात होती तो लड़की की सास दूध औटाकर उसमें गुड़ या शक्कर मिलाकर बहू को कटोरा थमा देती और कहती, "जाओ, और इसे अपने पति को पीला दो।˝ वह कटोरा हाथ लिए पति के पास जाती और बिना कुछ बोले चुपचाप खड़ी हो जाती। उसका पति दूध का कटोरा ले लेता और पी जाता। इस तरह से कई दिन बीत गये। हर रोज ऐसे ही होता। एक दिन उसका पति सोचने लगा, आखिर यह बोलती क्यों नहीं। उसने निश्चय किया कि आज जब तक यह बोलेगी नहीं, मैं दूध नहीं पियूँगा।
उस दिन रात को जब वह दूध लेकर अपने पति के पास गयी तो वह चुपचाप लेटा रहा। उसने कटोरा भी नहीं लिया। पत्नी भी कटोरे को हाथ में पकड़े खड़ी रही पर बोली कुछ नहीं। बेचारी सारी रात खड़ी रही, मगर उसने मुंह नहीं खोला। उस हठीले आदमी ने भी दूध का कटोरा नहीं लिया।
सुबह होने को हुई तो पति ने सोचा, इस बेचारी ने मेरे लिए कितना कष्ट सहा है। लगता है इसे मेरे साथ रहना पसंद नहीं है। इसलिए इसे अपने पास रखना इसके साथ घोर अन्याय करना है।
इसके बाद वह उसे उसके मायके छोड़ आया। बेचारी वहां भी प्रसन्न कैसे रहती ! वह मन-मन ही कुढ़ती और अपनी किस्मत को दोष देती। वह घुटकर मरने लगी। उसे कोई बीमारी न थी। वह बाहर से देखने में एकदम ठीक लगती थी। माता-पिता को उसके विचित्र रोग की चिंता होने लगी। वे बहुत-से वैद्यों और ज्योतिषियों के पास गये, पर किसी के पास इसका इलाज न था।
अंत में एक बड़े ज्योतिषी ने लड़की के रंग-रूप और चाल-ढाल को देखकर असली बात जान ली। उसने उसके हाथ की रेखाएं देखीं। ज्योतिषी ने बताया, "बेटी! पिछले जन्म में तूने जैसे कर्म किये थे, तुझे उसी के अनुसार फल मिल रहा है। इसमें न तो तेरा कोई दोष है और न ही तेरे पति का। तेरे पति ने पिछले जन्म में सफेद मोतियों का दान किया था और तूने ढेर सारे काले उड़द मांगने वालों की झोलियों में डाले थे। सफेद मोतियों के दान का फल यह हुआ की तेरे पति को सुन्दर जबकि तूने उड़द दान की थी इसलिए तुझे वैसा ही बदसूरत पति मिला।
"ऐसी हालत में तेरे लिए यही अच्छा है कि तू अपने पति के घर चली जा और मन में किसी भी प्रकार की बुरी भावना लाये बिना उसी से सांतोष कर, जो तुझे मिला है, ओर आगे के लिए खूब अच्छे-अच्छे काम कर। उसका फल तुझे अगले जन्म में अवश्य मिलेगा।"
ज्योतिषी की बात उस लड़की की समझ में आ गई और वह खुश होकर अपने पति के पास चली गई। वे लोग आंनंद से रहने लगे।
यह कांगड़ा की एक प्रसिद्ध लोककथा है। आपको यह कैसी लगी हमें अवश्य बताएं।
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