बिरला मंदिर दिल्ली इन हिंदी : भारत में कश्मीर से कन्याकुमारी तक अनेकों मंदिर एवं तीर्थस्थल हैं। प्रतिदिन अनेकों भारतीय व विदेशी पर्यटक इन मंदिरों को देखने आते हैं। भारत की राजधानी दिल्ली में ऐसा ही केंद्र बिड़ला मंदिर है। यह लक्ष्मी नारायण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर आधुनिक युग की वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है।
भारत में कश्मीर से कन्याकुमारी तक अनेकों मंदिर एवं तीर्थस्थल
हैं। प्रतिदिन अनेकों भारतीय व विदेशी पर्यटक इन मंदिरों को देखने आते हैं। भारत
की राजधानी दिल्ली में ऐसा ही केंद्र बिड़ला मंदिर है। यह लक्ष्मी नारायण मंदिर के
नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर आधुनिक युग की वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है।
इसे भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति घनश्याम दास बिड़ला ने बनवाया था। लाल पत्थर एवं
संगमरमर से बनी हुई बिड़ला मंदिर की मीनारों को दूर से देखकर काशी के प्राचीन
मंदिरों की याद ताजा हो जाती है।
बिड़ला मंदिर नई दिल्ली के स्वच्छ एवं शांत वातावरण में स्थित
है। मंदिर के सामने पहुँचते ही इसकी विशाल एवं भव्य संरचना दिखाई पड़ती है। सामने
की दीवार में एक प्रवेश-द्वार है जो बड़े ही कलात्मक ढंग से बनाया गया है। मंदिर
के पीछे पहाड़ी टीला है तथा चारों ओर पेड़ं लगे हैं जो अत्यंत सुंदर दृश्य
प्रस्तुत करते हैं। प्रतिदिन सहस्त्रों पर्यटक एवं भक्तगण मंदिर में भगवान् के
दर्शनों के लिए आते हैं। त्योहार के दिनों में वहाँ पैर रखने की भी जगह नहीं
मिलती। मंदिर के केंद्रिय कक्ष में भगवान् कृष्ण की सुंदर प्रतिमा लगी है। अंदर
दीवारों पर भित्तिचित्रों में रामायण एवं महाभारत की कथाएँ चित्रित हैं। मंदिर के
सामने की सड़क तो वाहनों और विशेषकर पैदल चलते मुसाफिरों से भरी रहती है। यहाँ के
पवित्र एवं मनोरम दृश्य को देखकर लगता है कि दिल्ली भी मथुर-वृंदावन से कम नहीं।
रामनवमी एवं कृष्ण जन्माष्टमी के पर्वों पर मंदिर खूब सजाया
जाता है। इसकी शोभा अद्वितीय होती है। लाखों नर-नारी व बच्चे मंदिर देखने आते हैं।
इसकी सीढ़ियों से चढ़कर जब मंदिर में प्रवेश करते हैं तो लगता है जैसे मृत्युलोक
से स्वर्गलोक में आ गए हों। इसके दोनों ओर दो मंदिर दिखाई पड़ते हैं जिनमें
कलात्मक प्रतिमाँ स्थापित हैं। ये प्रतिमाएं अत्यंत सुंदर हैं और बहुत सजाई गई
होती हैं। इसकी दीवारें सुंदर चित्रों और श्लोकों से चित्रित हैं। इसके बायीं ओर
घूमकर दर्शक एक सुंदर उद्यान में पहुँचते है। वहाँ मार्ग के दोनों ओर फव्वारे लगे
हैं। इनमें से शीतल जल की फुहार निकलती रहती है। उद्यान से होते हुए ऐसे स्थान पर
पहुँचते हैं जहाँ महात्मा बुद्ध की सजीव मूर्ती लगी है। दीवारों पर उनके जीवन की
घटनाएँ एवं उपदेश अंकित हैं। इसी प्रकार मंदिर के गलियारे की सारी दीवारों पर भारत
के ऋषियों मुनियों महापुरूषों एवं पराक्रमी राजाओं के जीवन-चरित चित्रित हैं।
मंदिर की दायीं ओर गीता भवन बना है जिसमें भगवान् श्री कृष्ण की विशाल प्रतिमा लगी
है और भगवान् श्री कृष्ण के गीता मे दिए उपदेश दीवारों पर बने चित्रों द्वारा
दर्शाए गए हैं।
आधुनिक वास्तुकला का प्रतीक बिड़ला मंदिर अद्वितीय होते हुए भी
कुछ कृत्रिमता लिए हुए हैं। प्राचीन मंदिरों को देखकर जिस नीरवता का आभास होता है
उसका यहाँ अभाव है।
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