लाल किले पर निबंध : दिल्ली में कई ऐतिहासिक दर्शनीय स्थल हैं। लालकिला भी इन्ही ऐतिहासिक स्थलों में से एक है। इसे वास्तुकला के प्रेमी मुग़ल बादशाह शाहजहां ने सन 1648 में बनवाया था। इस किले का निर्माण लाल पत्थरों से करवाया गया है इसी कारण इसे लालकिला कहते हैं। आगरा के लालकिले के भाँती ही दिल्ली का यह लालकिला भी सम्पूर्ण विश्व में प्रसिद्द है। यह किला मुग़ल शासकों के वास्तुकला के प्रेम का बेमिसाल नमूना है।
लाल किले पर निबंध। Essays on Red Fort in Hindi
आगरा के लालकिले के भाँती ही दिल्ली का यह लालकिला भी सम्पूर्ण विश्व में प्रसिद्द है। यह किला मुग़ल शासकों के वास्तुकला के प्रेम का बेमिसाल नमूना है। यह कई एकड़ में फैला हुआ है। इसके दो मुख्य द्वार हैं। लाल मंदिर वाले द्वार से प्रविष्ट होने पर इसकी आंतरिक भव्यता और बनावट आकर्षित करती है। इसके दोनों ओर दुकानें हैं। इसमें एक सड़क है जिससे होते हुए ऐसे स्थान पर पहुंचा जाता है जहां पर कभी मुग़ल शासक अपना शाही दरबार लगाया करते थे। वे इस स्थान को दीवान-ए-आम कहते थे। दीवान-ए-आम का मतलब है आम जनता के लिए दरबार। यहां बादशाह आम जनता की शिकायतों और तकलीफों को सुना करते थे और उनका निवारण करते थे। यहीं पर जिस सिंहासन पर मुग़ल बादशाह बैठते थे उसे तख़्त-ए-ताउस या मयूर सिंहासन कहा जाता है। यह सिंहासन तमाम हीरे-जवाहरातों से जड़ा हुआ था। इसके पश्चात् दीवान-ए-ख़ास आता है। यहां बादशाह अपने ख़ास मेहमानों, मंत्रीगणों एवं दरबारियों आदि से मिला करते थे। यह ख़ास लोगों की सभा होती थी अतः इसमें आम लोगों का आना वर्जित था। ऐसे ही बड़े-बड़े कक्षों से होते हुए कई बारह्दरियों से होते हुए हम लालकिये की छत पर पहुँच जाते हैं।
लालकिले की बारह्दरियों की दीवारें सुन्दर चित्रकारी से सुसज्जित हैं। इसमें कई ऐसे कक्ष हैं, जिनमे कहीं मुग़ल सम्राट के वास का स्थान बना है तो कहीं उनकी बेगमों के लिए हरम बने हुए हैं। और कुछ कक्ष श्रृंगार कक्ष और हमाम कक्ष के रूप में प्रयोग किये जाते थे। अब तो यह केवल स्मृति मात्र ही रह गए हैं।
वर्तमान में लालकिला भारत सरकार के पुरातत्व विभाग की देख-रेख में है। इसके मुख्य द्वार की प्राचीर पर भारत के प्रधानमन्त्री प्रतिवर्ष 15 अगस्त को तिरंगा झंडा फहराते हैं के जनता को सम्बोधित करते हैं। कुछ समय पहले तक लालकिले के अंदर भारतीय सेना के कार्यालय बने हुए थे परन्तु अब उन्हें हटा लिया गया है। किले के अंदर एक अजायबघर भी है जिसमें मुग़ल बादशाहों की पोशाकें, शस्त्र एवं अन्य वस्तुएं रखी गयीं हैं।
लालकिले में प्रकाश और ध्वनि का सुन्दर कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। आजाद हिन्द फ़ौज के अधिकारियों पर मुकदमा भी इसी लालकिले में ही चलाया गया था लालकिला आम लोगों लिए सदैव खुला रहता है। यह स्मारक भारत वर्ष की प्राचीन विकसित स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है। स्वतंत्र भारत में लालकिले का गौरव और भी बढ़ गया है। प्रत्येक भारतवासी को लालकिले पर गर्व है।
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