डाकिये पर निबंध : डाकिये के नाम से सभी व्यक्ति परिचित हैं। वह एक जाना-माना जनता का सेवक है। डाकिया खाकी वर्दी पहनता है व उसके कंधे पर एक चिठ्ठियों से भरा थैला लटका रहता है। वह डाक के डिब्बों से डाक इकठ्ठी करता है। वह घर-घर, गली-गली जाकर लोगों को चिठ्ठियां, मनीऑर्डर्स, पत्र, कार्ड्स और किताबें आदि पहुँचता है।
डाकिये पर निबंध। Essay on Postman in Hindi
डाकिये के नाम से सभी व्यक्ति परिचित हैं। वह एक जाना-माना जनता का सेवक है। वह डाक घर में काम करता है लेकिन उसका अधिकतर समय डाक घर के बाहर व्यतीत होता है। वह घर-घर, गली-गली जाकर लोगों को चिठ्ठियां, मनीऑर्डर्स, पत्र, कार्ड्स और किताबें आदि पहुँचता है। उसकी सेवायें बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। लोग डाकिये के दरवाजा खटखटाने की प्रतीक्षा करते हैं, उसका हमेशा स्वागत करते हैं।
डाकिया खाकी वर्दी पहनता है व उसके कंधे पर एक चिठ्ठियों से भरा थैला लटका रहता है। वह डाक के डिब्बों से डाक इकठ्ठी करता है। तत्पश्चात उन्हें गाडी व ट्रेनों की सहायता से अलग-अलग शहरों में विभिन्न पतों पर पहुँचा दिया जाता है। वह अन्य डाकघर तथा स्थानों से प्राप्त किये गए पत्रों को बांटता है। वह मनीऑर्डर्स, रजिस्टर्ड लेटर्स या स्पीड पोस्ट डाक का वितरण करता है।
वह लोगों तथा शहरों को आपस में मिलाता है। दूर रहने वाले सम्बन्धियों को भी आ[अस में मिलाता है। वह कई बार अच्छी ख़बरें लाता है तो कई बार अनचाही ख़बरें भी सुनाता है। परन्तु फिर भी वह हमारे लिए बहुत ही उपयोगी है और उसका कार्य महत्वपूर्ण है। खबर तो खबर है फिर चाहे अच्छी हो या बुरी।
डाकिये की ड्यूटी बहुत ही कठिन होती है। गाँव में कार्यरत डाकियों का काम तो और भी कठिन है क्योंकि गाँव में उन्हें लम्बी दूरी कई बार साइकिल, ऊंट, नाव से या कई बार तो उन्हें पैदल भी चलना पड़ता है। तेज धूप हो या बरसात, बर्फ पड़े या फिर गर्मी की झुलसा देने वाली तपिश हो, एक डाकिये को सदैव अपने कार्य के लिए उपस्थित रहना पड़ता है। लेकिन इन सभी सेवाओं की तुलना में उसका वेतन बहुत ही कम होता है। उसकी तरक्की की संभावना भी नहीं होती।
डाकिये के पास जिम्मेदार पोस्ट होती है लेकिन उसके बदले में उसे उचित प्रतिफल नहीं मिलता है। उसके कार्य की परिस्थितियों व अनुदान में सुधार किये जाने चाहिए। उसके बच्चों को अच्छी शिक्षा व उचित ट्रेनिंग सुविधाएँ प्रदान करनी चाहिए। चूंकि वह कठिन परिस्थितियों में कार्य करता हैं इसलिए उसको बीमा प्रदान करना चाहिए। दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में वह बड़ी पार करके, घने जंगलों को पार करके काम करते हैं और इससे इन्हें खतरों का सामना करना पड़ता है। जब वह मनीऑर्डर्स लाते हैं तो उनको ज्यादा खतरा होता है। वह हमारी सहानुभूति और इज्जत के पात्र हैं। उन्हें बहुत ही कम छुट्टियां मिलती हैं व उनका कार्य बहुत ही लम्बा और मुश्किल होता है। अतः सरकार द्वारा उन्हें उनके कार्य के अनुरूप ही वेतन और अन्य सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए।
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