परिश्रम ही सफलता की कुंजी है पर अनुच्छेद लेखन - भाषण : किसी जापानी दार्शनिक ने एक बार कहा था हाथों की उंगलियों के सहारे एक दिन हम सारे संसार पर विजय प्राप्त कर लेंगे। जापानवासियों ने आज इस कथन को सत्य करके दिखा दिया है। अमेरिका जैसे उन्नत और समृद्ध देश भी आज जापान की तुलना में पिछड़ चुके हैं। पूछा जा सकता है कि इस सबका कारण क्या है ? कारण हर जापानी की रात-दिन निरंतर कार्यरत रहने वाली उंगलियों में छिपा हुआ है। उंगलियों में छिपा वह कारण है ‘परिश्रम’ जी हां, परिश्रम ही द्वितीय विश्वयुद्ध में मार खाकर भी आज विश्व का सरताज बन जाने वाले जापान की सफलता का रहस्य और कारण है।
परिश्रम ही सफलता की कुंजी है पर अनुच्छेद लेखन - भाषण
किसी जापानी दार्शनिक ने एक
बार कहा था हाथों की उंगलियों के सहारे एक दिन हम सारे संसार पर विजय प्राप्त कर
लेंगे। जापानवासियों ने आज इस कथन को सत्य करके दिखा दिया है। अमेरिका जैसे उन्नत
और समृद्ध देश भी आज जापान की तुलना में पिछड़ चुके हैं। पूछा जा सकता है कि इस
सबका कारण क्या है ? कारण हर
जापानी की रात-दिन निरंतर कार्यरत रहने वाली उंगलियों में छिपा हुआ है। उंगलियों
में छिपा वह कारण है ‘परिश्रम’ जी हां, परिश्रम ही द्वितीय
विश्वयुद्ध में मार खाकर भी आज विश्व का सरताज बन जाने वाले जापान की सफलता का
रहस्य और कारण है। विश्व में जो अन्य राष्ट्र भी सब प्रकार से उन्नति और विकास
करना चाहते हैं, उनके पास
भी मात्र एक ही कुंजी है सफलता का ताला खोलने की और उस कुंजी का नाम है लगातार परिश्रम।
परिश्रम के बल पर छोटा-बड़ा हर व्यक्ति इच्छित वस्तुएं पा सकता है, उन्नति और विकास के उच्च
शिखर पर पहुंच सकता है। परिश्रम का अन्य कोई विकल्प या जोड़-तोड़ नहीं है। हमारे
आसपास ऐसे लोगों के उदाहरण बिखरे पड़े हैं, जिन्होंने एकदम सामान्य स्तर पर कार्य शुरू करके लगातार परिश्रम
द्वारा उसका विस्तार बड़े-बड़े कारखानों के रूप में किया। परिश्रम और विश्वास रखने
वाले, साधनों
की कमी का रोना कभी नहीं रोया करते। लगातार परिश्रम करके वे सभी प्रकार के साधन
स्वयं प्राप्त कर लिया करते हैं। अतः हर उस व्यक्ति को आज से ही परिश्रम पूर्वक
जीना आरंभ कर देना चाहिए जो कि वास्तव में उन्नति के शिखर पर पहुंचना चाहता है।
निरंतर परिश्रम करते रहने से सभी कुछ संभव बनाया जा सकता है।
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