पंचतंत्र की कहानी राजा का रक्त। Panchtantra Story in Hindi: एक खटमल था। उसके बाल बच्चे भी थे। बाल बच्चों के भी बाल बच्चे थे। खटमल का बहुत बड़ा परिवार था। वह अपने बहुत बड़े परिवार के साथ राजा के पलंग में निवास करता था। खटमल बहुत बुद्धिमान था। उसने अपने परिवार के लोगों को शिक्षा दे रखी थी, “यदि राजा के पलंग में रहना है, तो समय असमय का ध्यान रखना। राजा को उसी समय काटना होगा, जब वह शराब पीकर गहरी नींद में सोया हुआ हो। इसके विपरीत, यदि कोई राजा के रक्त को चूसने का प्रयत्न करेगा, तो वह तो मारा ही जाएगा, परिवार के अन्य लोग भी निर्दयतापूर्वक मार डाले जाएंगे।”
पंचतंत्र की कहानी राजा का रक्त। Panchtantra Story in Hindi
एक खटमल था। उसके बाल बच्चे भी थे। बाल बच्चों के भी बाल बच्चे थे। खटमल का बहुत बड़ा परिवार था। वह अपने बहुत बड़े परिवार के साथ राजा के पलंग में निवास करता था। खटमल बहुत बुद्धिमान था। उसने अपने परिवार के लोगों को शिक्षा दे रखी थी, “यदि राजा के पलंग में रहना है, तो समय असमय का ध्यान रखना। राजा को उसी समय काटना होगा, जब वह शराब पीकर गहरी नींद में सोया हुआ हो। इसके विपरीत, यदि कोई राजा के रक्त को चूसने का प्रयत्न करेगा, तो वह तो मारा ही जाएगा, परिवार के अन्य लोग भी निर्दयतापूर्वक मार डाले जाएंगे।”
परिवार के सभी खटमल उस की दी हुई शिक्षा के अनुसार ही काम करते थे। वह राजा को कभी उस समय नहीं काटते थे, जब वह जाग रहा हो। खटमल अपने पूरे परिवार के साथ बड़े सुख से रहता था। राजा को पता नहीं चलता था, इसलिए वह कभी भी खटमलों को मारने का प्रयत्न नहीं करता था। कुछ दिनों पश्चात एक दिन कहीं से एक मच्छर उड़ता हुआ आ गया। वह राजा के कोमल बिस्तर पर लोटपोट होने लगा। उसे जब बिस्तर अधिक मुलायम लगा, तो वह उस पर जोर जोर से उछलने-कूदने लगा।
खटमल ने मच्छर को देख लिया। उसने प्रश्न किया, “तुम कौन हो और कहां से आए हो? मार्च मच्छर ने उत्तर दिया, “मैं मच्छर हूं। गंदे पानी के नाले में रहता हूं। वाह, वाह, यह बिस्तर तो बड़ा मुलायम है।” खटमल ने उत्तर दिया, “मुलायम नहीं होगा, को क्या होगा? यह राजा का बिस्तर है। इसे गंदा मत करो। भाग जाओ यहां से।” मच्छर बोला, “यह राजा का विस्तार है? तब तो राजा इस पर अवश्य सोता होगा। अरे भाई, मैं तुम्हारा मेहमान हूं। मेहमान को इस प्रकार लगाया नहीं जाता। मुझे भी जरा इस मुलायम बिस्तर का आनंद लेने दो।”
खटमल बोल उठा, “नहीं नहीं, तुम मेरे मेहमान नहीं हो सकते। मैं तुम्हें राजा के बिस्तर पर लौटने नहीं दूंगा। तुम भाग जाओ यहां से।” मच्छर विनती करने लगा, नम्रता से कहने लगा, “बस, आज रात भर रहने दो। मैं अब तक अनेक मनुष्य का रक्त का स्वाद ले चुका हूं, पर कभी राजा का रक्त चूसने का अवसर नहीं मिला। राजा अच्छे-अच्छे भोजन खाता होगा। अवश्य, उसका रक्त मीठा होगा। मुझ पर दया करो। मुझे राजा के रक्त का स्वाद ले लेने दो।” खटमल बोला, “अभी तो तुम मुलायम बिस्तर पर लोटपोट करने की बात कर रहे थे, अब रक्त चूसने की बात करने लगे। बड़े प्रपंची लग रहे हो। मैं तुम्हें यहां नहीं रहने दूंगा। जाओ, भाग जाओ यहां से।”
खटमल ने मच्छर से बराबर यही कहा कि तुम भाग जाओ यहां से, पर मच्छर खटमल से बराबर यही विनती करता रहा कि मैंने कभी राजा का रक्त नहीं चखा है। कृपया आज मुझे राजा के रक्त को चखकर यह जान लेने दो कि उसका स्वाद कैसा होता है? मच्छर ने जब बार-बार प्रार्थना की, तो खटमल के मन में दया उत्पन्न हो गई। उसने कहा, “अच्छी बात है। तुम एक रात यहां रह सकते हो, पर राजा का रक्त चूसने के संबंध में तुम्हें मेरी शर्तें माननी होंगी।”
मच्छर बोला, “बताओ, तुम्हारी शर्त क्या है? मार्च खटमल ने कहा, “तुम्हें दो बातों का ध्यान रखना होगा। एक तो यह कि जब राजा गहरी नींद में सो जाएगा, तभी तुम उसे काटोगे। और दूसरी बात यह कि तुम राजा के पैर के तलवों को छोड़कर और कहीं नहीं काटोगे।” मच्छर बोला, “मुझे तुम्हारी शर्तें मंजूर है। मैं तुम्हें वचन देता हूं, तुम्हारी दोनों बातों का ध्यान रखूंगा।” मच्छर के वचन देने पर खटमल चला गया और मच्छर स्वतंत्रतापूर्वक पलंग पर उछलने-कूदने लगा।
धीरे-धीरे दिन बीता। शाम हुई। और शाम के बाद रात आई। राजा खा पीकर पलंग पर सोने लगा। पर कुछ देर तक उसे नींद नहीं आई। राजा को देखकर मच्छर के मन में लालच पैदा हो गया। उसने सोचा, कैसा हष्ट पुष्ट है। इसका रक्त अवश्य बड़ा मीठा होगा। खटमल ने कहा था, जब राजा को गहरी नींद आए तभी काटना, पर न जाने इसे गहरी नींद कब आएगी। यह भी हो सकता है कि इसे गहरी नींद आएगी ना तो फिर मैं इसे कैसे काटूंगा? ऐसा अवसर बार-बार नहीं मिलता। खटमल ने यह भी कहा था कि पैरों के तलवों को छोड़कर और कहीं मत काटना, पर इससे क्या होता है? जैसे पैरों के तलवे, वैसे ही शरीर के दूसरे अंग। में तलवों में ना काट कर गर्दन में काट लूंगा। गर्दन में रक्त भी अधिक होता है।
बस, फिर क्या था। मच्छर ने राजा की गर्दन में टांग अड़ाने आरंभ कर दिए एक बार, दो बार, तीन बार। राजा घबराकर उठा। उसने अपना दाहिना हाथ गर्दन पर जोर से पटक मारा, मच्छर उड़ कर भाग गया। पकड़ में नहीं आया। राजा ने व्याकुल होकर नौकरों को पुकारकर कहा, “न जाने किस कीड़े ने मेरी गर्दन में काट लिया है। बड़ी जलन हो रही है। बिस्तर और पलंग को झाड़कर देखो, क्या है ?
राजा पलंग से उठकर खडा हो गया। नौकर बिस्तर और पलंग को झाड़कर देखने लगे। मच्छर तो भाग गया था, मिला तो खटमल और उसका परिवार। नौकरों ने सभी खटमलों को बीन-बीनकर मार डाला।
कहानी से शिक्षा:
किसी की चिकनी-चुपड़ी बातों में नहीं आना चाहिए।
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