नेवला और पंडिताइन की कहानी। Nevla aur Panditain hindi story : किसी गांव में एक पंडित रहता था। पंडित बड़ा परिश्रमी और दयालु था। वह मनुष्य के प्रति तो दया दिखाता ही था, जीव जंतुओं के प्रति भी दया का भाव रखता था। पंडित के घर में वह, पंडिताइन और उसका छोटा बच्चा था। बच्चे की उम्र 5 से 6 महीने की ही थी। वह या तो अपनी मां की गोद में रहता था या फिर पालने में पड़ा-पड़ा सोया करता था। पंडित और उसकी पत्नी दोनों बच्चे को बड़ा प्यार करते थे।
नेवला और पंडिताइन की कहानी। Nevla aur Panditain hindi story
किसी गांव में एक पंडित
रहता था। पंडित बड़ा परिश्रमी और दयालु था। वह मनुष्य के प्रति तो दया दिखाता ही
था, जीव
जंतुओं के प्रति भी दया का भाव रखता था। पंडित के घर में वह, पंडिताइन और उसका छोटा
बच्चा था। बच्चे की उम्र 5 से 6 महीने की ही थी। वह या तो
अपनी मां की गोद में रहता था या फिर पालने में पड़ा-पड़ा सोया करता था। पंडित और
उसकी पत्नी दोनों बच्चे को बड़ा प्यार करते थे।
एक दिन जब पंडित अपने खेत से लौट रहा था, तो उसे नेवले का एक बच्चा
मिल गया। उसने बड़े प्यार से बच्चे को उठा लिया। वह उसे अपने घर ले आया और अपनी
पत्नी को देते हुए बोला, “नेवले का
यह बच्चा बड़ा सुंदर है। तुम इसका भी पालन-पोषण करो ?” पंडित की पत्नी ने अपने पति
की बात मान ली। वह नेवले का अपने पुत्र के समान ही पालन-पोषण करने लगी।
कुछ महीनों पश्चात नेवले का बच्चा बड़ा हो गया, और उछलने-कूदने लगा, पर पंडित का बच्चा अभी छोटा
ही था। वह अब भी पालने पर ही रहता था। एक दिन पंडित के पास कोई काम काज नहीं था।
वह घर पर ही था। पंडित की पत्नी उससे बोली, "मैं सामान खरीदने बाजार जा रही हूं। तुम बच्चे की
देखभाल करते रहना। नेवले से सावधान रहना, क्योंकि नेवला विषैला होता है। वह बच्चे के पास ना जाने पाए।"
पंडित की पत्नी बाजार चली गई। उसके जाने पर गांव के मुखिया के बुलाने
पर पंडित भी मुखिया से मिलने के लिए चला गया। पंडित को लौटने में देरी हो गई।
दो-तीन घंटे के पश्चात जब पंडित की पत्नी बाजार से लौटी, तो द्वार पर ही उसे नेवला
बैठा हुआ दिखाई पड़ा। नेवले के मुख और उसके पंजों में रक्त लगा हुआ था। पंडित की
पत्नी ने नेवले के मुख और पंजों में रक्त लगा हुआ देखकर सोचा, इस दुष्ट ने मेरे बच्चे को
काट खाया है।
पंडित की पत्नी के मन में नेवले के प्रति क्रोध पैदा हो गया। वह अपने
सिर पर रखा टोकरा नेवले पर पटकती हुई चीख पड़ी, "हाय राम, मैंने तो इस दुष्ट का पालन-पोषण किया, पर इसने तो मेरे बच्चे को काट खाया।" पंडित
की पत्नी बच्चे को देखने के लिए दौड़ कर घर के भीतर गई। बच्चा बड़े आराम से पालने
में सो रहा था।पंडित की पत्नी को यह देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि पालने के नीचे एक
काला सांप लहूलुहान हुआ पड़ा है। उसे समझने में देर नहीं लगी कि सांप बच्चे को
काटने के लिए पालने पर चढ़ रहा था। पर नेवले ने उसे चढ़ने नहीं दिया। उसने उसके
साथ लड़कर, उसे मार
डाला। यदि नेवला न होता तो सांप अवश्य बच्चे को काट खाता।
पंडित की पत्नी के मन में नेवले के प्रति ममता जाग उठी। वह दौड़कर
नेवले के पास गई, परंतु जब
उसने टोकरा उठाया, तो उसे
यह देखकर बड़ा दुख हुआ कि नेवला उस से कुचल कर मर गया। पंडित की पत्नी रोने लगी, इसी समय पंडित भी आ गया।
उसने सब-कुछ सुनकर आंसू बहाते हुए कहा, "जो लोग कोई काम करने के पूर्व उस पर विचार नहीं
करते, उन्हें
इसी तरह पछताना पड़ता है।"
कहानी से शिक्षा :
जीव जंतुओं के प्रति भी दया दिखानी चाहिए।
जीव-जंतु भी बड़े स्वामीभक्त होते हैं।
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