क्रिसमस डे ईसाइयों का प्रमुख त्योहार है। यह हर वर्ष 25 दिसंबर को मनाया जाता है। इस दिन यीशु मसीह का जन्म हुआ था। इसे बड़ा दिन भी कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि 25 दिसंबर से दिन बड़ा होना आरंभ हो जाता है और रात छोटी होने लगती है।
क्रिसमस पर निबंध। Christmas Essay in Hindi
क्रिसमस डे ईसाइयों का प्रमुख त्योहार है। यह हर वर्ष 25 दिसंबर को मनाया जाता है। इस दिन यीशु मसीह का जन्म हुआ था। इसे बड़ा दिन भी कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि 25 दिसंबर से दिन बड़ा होना आरंभ हो जाता है और रात छोटी होने लगती है।
जिस प्रकार से हिन्दू हर्षोल्लास से दीपावली और होली मनाते हैं उसी प्रकार ईसाई क्रिसमस डे मनाते हैं। दुनिया में भारत ही ऐसा धर्मनिरपेक्ष देश है जिसमें प्रत्येक धर्म जाति और भाषा के लोग रहते हैं। यहाँ पर सभी को अपने-अपने धर्म को मानने और अपनी जीवन-पद्धति के अनुसार रहने की पूरी स्वतंत्रता है। यहाँ विभिन्न प्रकार के धर्मावलंबी अपने धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन करते हुए निडरतापूर्वक आनंदमय जीवन व्यतीत कर रहे हैं। जब मुस्लिम ताजिए निकालते हैं तो यहाँ कोई उनका विरोध नहीं करता बल्कि सरकार उनकी सुरक्षा का कड़ा प्रबंध करती है। इसी प्रकार जैन¸ सिख¸बौद्ध¸ईसाई सभी की सुरक्षा व्यवस्था सरकार करती है ताकि सभी अपने-अपने धर्म का पालन करते हुए प्रेमभाव से मिल-जुल कर रह सकें।
दुनिया के सभी त्योहार और धर्म हमें आपस में एकता¸मेल-जोल और शांति से जीने का संदेश देते हैं। क्रिसमस डे के दिन ईसा मसीह का जन्म हुआ था। उनका जन्म एक यहूदी परिवार में येरूशलेम के बैतलहेम नगर (वर्तमान फिलिस्तीन) में हुआ था। उनकी माँ का नाम मरियम था। ईसा मसीह को ईसाई धर्म का प्रवर्तक माना जाता है। ईसाई धर्म में उन्हें ईश्वर का प्रिय पुत्र बताया गया है। 13 वर्ष से 29 वर्ष की अवस्था तक ईसा मसीह अज्ञात रहे। जब वे 30 वर्ष के हुए तब उन्होंने एक नए धर्म का प्रचार करना शुरू किया जो आगे चलकर ईसाई धर्म बना। वे कर्म-कांडों और पशुबलि के खिलाफ थे। उनका मानना था की ईश्वर प्रेमस्वरूप है और प्रेम से ही ईश्वर की प्राप्ति संभव है। उन्होंने अपने शत्रुओं से भी प्रेम करने का सन्देश दिया। जब उन्हें सूली पर चढ़ाया गया तब भी उन्होंने यही कहा की हे ईश्वर इन्हे क्षमा करना क्योंकि अगर इन्हे पता होता की ये क्या कर रहे हैं तो ये ऐसा कभी नहीं करते। प्रथम शताब्दी ईसवीं उनके पैदा होने के बाद से ही प्रारंभ हुई थी। उनसे पहले के समय को ईसा पूर्व कहा जाता है और बाद के समय को ईसवी कहा गया।
जिस प्रकार हिन्दू कृष्ण के जन्मदिवस पर जन्माष्टमी का त्योहार धूमधाम से मनाते हैं वैसे ही ईसाई ईसा मसीह के जन्मदिवस पर क्रिसमस डे हर्षोल्लास से मनाते हैं।
भारत एक ऐसा देश है जहाँ प्रत्येक धर्म को सम्मान देते हुए उस दिन राषट्रीय अवकाश दिया जाता है। हमारे यहाँ त्योहारों पर उपहार देने की परंपरा है। क्रिसमस डे पर भी लोग आपस में एक-दूसरे को उपहार देते हैं और चर्च (गिरिजाघर) में एक साथ प्रार्थना क्रिसमस डे मनाते हैं। चर्च और अपने घरों को क्रिसमस ट्री¸ बिजली के बल्बों¸ फूलमालाओं से सजाते-संवारते हैं। चर्च में मोमबत्तियाँ जलाते हं। क्रिसमस डे पर पने घर सान्ता क्लॉज का आना बहुत शुभ माना जाता है जो फादर क्रिसमस का ही स्वरूप है। सान्ता क्लॉज अपने साथ बहुत सारे उपहार भी लाता है।
क्रिसमस डे को अर्धरात्रि में घंटियाँ बजने लगती हैं। इस त्योहार पर लोग अपने मित्र¸ पड़ोसी एवं रिश्तेदारों को बधाई-पत्र भेजते हैं तथा अपने घरों और दफ्तर में केक काटकर क्रिसमस डे मनाते हैं। इस त्योहार पर चारों ओर प्रसन्नता का वातावरण होता है।
क्रिसमस डे को सम्पूर्ण ईसाई समुदाय मनाता है। परंतु आजकल बहुत से गैर-ईसाई भी इस त्योहार को मनाते हैं। यह त्योहार विश्व भर में मनाया जाता है। अमेरिका में तो 96 प्रतिशत लोग इस त्योहार को मनाते हैं।
यह त्योहार प्रेम¸ शांति और समृद्धि का प्रतीक है।
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