वर्षा ऋतु पर निबंध Hindi Essay on Rainy Season

वर्षा ऋतु पर निबंध :हमारा भारतवर्ष ऋतुओं का देश है। यहाँ पर प्रत्येक ऋतू अपनी प्राकृतिक शोभा के साथ आती। है अपने सौंदर्य के छठा को चरों और फैला देती है। यद्यपि सभी ऋतुओं की अपनी-अपनी विशेषताएं और महत्त्व है

वर्षा ऋतु पर निबंध - Hindi Essay on Rainy Season 

वर्षा ऋतु पर निबंध

प्रस्तावना : हमारा भारतवर्ष ऋतुओं का देश है। यहाँ पर प्रत्येक ऋतु अपनी प्राकृतिक शोभा के साथ आती। है अपने सौंदर्य के छठा को चरों और फैला देती है। यद्यपि सभी ऋतुओं की अपनी-अपनी विशेषताएं और महत्त्व है , किन्तु अपने मनोरम दृश्य तथा विविध उपयोगिता के कारण वर्षा ऋतु का अपना विशेष महत्त्व है।

वर्षा के पूर्व की दशा : वर्षा के आने से पूर्व ग्रीष्म की भयंकर गर्मी से धरती  तवे के समान तपने लगती है। ग्रीष्म की लपट भूमि -कण  कण को झुलसा देती है। पेड़-पौधे आदि  वनस्पतियां सूख जाती हैं। पशु-पक्षी भी व्याकुल होकर पानी के लिए तड़पने लगते हैं। भयंकर गर्मी से जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है और  सभी लोग दुखी होकर अपनी तपन को को शांत करने के लिए वर्षा की प्रतीक्षा में आकाश की और दृस्टि लगाए रहते हैं।

वर्षा का वर्णन : आषाढ़ मॉस के प्रारम्भ होते ही आकाश में बादल दिखाई देने लगते हैं। दिनों-दिन आकाश मंडल में काले बादल छाते ही चले जाते है। और वर्षा की बूँदें धीरे-धीरे गिरने लगती है ,जिसको देखकर पशु-पक्षी आनंदित होकर क्रीड़ाएं करने लगते हैं।  वर्षा के पड़ते ही सारी पृथ्वी , आकाश और अंतरिक्ष का दृश्य  है। जैसे ही पृथ्वी पर बूँदें पड़ने लगती है वैसे ही पृथ्वी से अद्भुत भीनी-भीनी सुगंध उठने लगती है। वृक्षों में नया जीवन आ जाता है और वे हरे-भरे हो जाते हैं। पक्षी गण कलरव करने लगते हैं। इस प्रकार वर्षा के आगमन से  वातावरण ही बदल जाता हैं।

वर्षा का दृश्य : पृथ्वी को मनोरम और अलौकि रूप को देखकर बादल भी उसकी औ आकर्षित होकर प्रेमी नायक की भांति झुकते ही चले आते हैं। और रसमय होकर उसे सरस बना देतें हैं। महाकवि तुलसीदास को उनके नमन में नम्रता दिखलाई देती है  कि -
वरषहिं जल्द भूमि नियराये, जथा नवहिं बुध विद्या पाए। 
वर्षा काल में बादल आकाश में इधर-उधर दौड़ते हुए दिखाई देते हैं। वर्षा में स्त्रियां भी आनंदित होकर झूले के गीत और मल्हारों को जाती हुई बागों में झूला झूलते दिखाई देती हैं।  

वर्षा ऋतु से लाभ : वर्षा के आगमन से हमारा मन और शरीर प्रसन्न हो जाता है। वर्षा के अनेक लाभ हैं। वर्षा के बिना कृषि करना संभव नहीं है। वर्षा होने पर ही खेतों में अन्न उत्पन्न होता  है। वर्षा से धान आदि चारे की उत्पत्ति होती है और उससे उपयोगी पशुओं का पालन होता है। नदियों में जल आ जाने से सिंचाई के लिए जल की पूर्ती संभव हो पाती है। वर्षा से सूखे पेड़-पौधों में भी जीवन आ जाता है। और वे अपनी पूरी गति से बढ़ने लगते हैं। इस प्रकार वर्षा से ईधन और चारे की भी सुविधा रहती है। 

वर्षा ऋतु से हानि : एक और वर्षा का यह रूप इतना मनोरम और लाभदायक है तो इसका दूसरा रूप अति भयानक और संहारक भी है। अतिवृष्टि होने से नदी-नाले, तालाब अपनी सीमाओं को तोड़ देते हैं। चारों ओर जल ही जल दिखाई पड़ता है। बड़े-बड़े पेड़ पानी में बह जाते हैं। खड़ी हुई फसल बर्बाद हो जाती है। सैंकड़ों गाँव बाढ़ की चपेट में आकर अपना अस्तित्व खो बैठते हैं। सड़क, रेल-लाइनें और पुल सभी इससे क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। मनुष्य या पशु-पक्षी जो भी इसकी चपेट में आ जाता है उसका बस भगवान् ही मालिक है। बाढ़ से होने वाली अपार धन-जन की क्षति हमारे ह्रदय को दहला देती है। और इससे हैजा, मलेरिआ आदि अनेक रोग फैलने लगते हैं। 

उपसंहार : इतना सब-कुछ होने पर भी वर्षा हमारे लिए अत्यंत लाभदायक है। वर्षा के बिना किसी प्रकार के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। यह मन को आनंदित करती है और जीवन को प्राण देती है। ाटन वर्षा सभी ऋतुओं में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। 

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